आयात और निर्यात के बीच की खाई अब 20 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। वित्त वर्ष 2012 की तीसरी तिमाही में व्यापार घाटा बढ़कर जीडीपी के 4.3 फीसदी तक पहुंच गया है।
तीसरी तिमाही में व्यापार घाटे में दोगुने की बढ़त देखी गई है और ये बढ़कर 19.5 अरब डॉलर के पार चला गया है। पिछले साल इसी अवधि में व्यापार घाटा करीब 10 अरब डॉलर था। पिछले साल के मुकाबले इस साल तीसरी तिमाही में आयात में तो मामूली कमी आई है लेकिन एक्सपोर्ट बहुत तेजी से घटा है।
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व्यापार घाटा बढ़ने से बैलेंस ऑफ पेमेंट की स्थिति भी बिगड़ गई है। आरबीआई से जारी एक बयान के मुताबिक व्यापार घाटा बढ़ने और विदेशी निवेश घटने से फॉरेक्स रिजर्व में दबाव देखने को मिला है। जानकारों के मुताबिक अगर हालात ऐसे ही रहे तो डॉलर के मुकाबले रुपये में और कमजोरी देखने को मिलेगी।
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