शुक्रवार, 16 मार्च 2012

बजट पर विशेष.. भाग -2...महत्वपूर्ण शब्दावली


  1. कर राजस्व: सरकार द्वारा लगाए गए तमाम करों व शुल्कों से प्राप्त होने वाली धनराशि को कर राजस्व कहते हैं। मसलन आयकर, कॉरपोरेट टैक्स, सेवा कर, उत्पाद शुल्क वगैरह गैर कर राजस्व या अन्य राजस्व: सरकारी निवेश पर ब्याज व लाभांश, सरकार की अन्य सेवाओं पर प्राप्त होने वाले तमाम शुल्क आदि शामिल होते हैं।
  2. राजस्व प्राप्तियां: कर और अन्य राजस्व को मिलाकर प्राप्त होने वाली कुल धनराशि को सरकार की राजस्व प्राप्तियां कहते हैं।
  3. राजस्व खर्च: सरकारी विभागों व विभिन्न सेवाओं के संचालन पर खर्च होने वाली रकम, सब्सिडी, सरकारी कर्ज पर ब्याज, राज्य सरकारों को अनुदान इत्यादि इसमें शामिल हैं। राजस्व खर्चो से कोई भी परिसंपत्तिया भौतिक उपलब्धि हासिल नहीं होती है।
  4. राजस्व घाटा: कुल राजस्व खर्च और राजस्व प्राप्तियों का अंतर।
  5. पूंजीगत प्राप्तियां [कैपिटल रिसीट]: सरकार द्वारा आम जनता व रिजर्व बैंक से लिए जाने वाले कर्ज, विदेशी सरकारों व संस्थानों से प्राप्त होने वाले ऋण और राज्यों इत्यादि द्वारा वापस किए गए कर्ज इसमें शामिल हैं।
  6. पूंजीगत भुगतान या पूंजीगत खर्च: जमीन, मकान, मशीनरी आदि की खरीद पर सरकारी खर्च और राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों, सरकारी कंपनियों को दिए जाने वाले कर्ज वगैरह इसके अंतर्गत आते हैं।
  7. बजट घाटा: कुल राजस्व-पूंजीगत खर्चो और कुल राजस्व-पूंजीगत प्राप्तियों के अंतर को बजट घाटा कहा जाता है।
  8. राजकोषीय घाटा: बजट घाटे को पाटने के लिए सरकार द्वारा लिए जाने वाले कर्ज व उस पर अन्य देनदारियों को ही राजकोषीय घाटा कहते हैं। बजट में सबसे ज्यादा इसका ही इस्तेमाल किया जाता है।
  9. अनुदान मांग: विभिन्न मंत्रालयों व सरकारी विभागों के खर्च अनुमानों को अनुदान मांग के रूप में सालाना वित्तीय वक्तव्य में शामिल किया जाता है। इसे लोकसभा में पारित करवाना पड़ता है।
  10. विनियोग विधेयक [एप्रोप्रिएशन बिल]: लोकसभा में अनुदान मांगों को मंजूरी मिलने के बाद इस धनराशि को भारत की समेकित निधि से निकाला जाता है। इस निधि से तभी कोई धन निकाला जा सकता है, जब इसके लिए विनियोग विधेयक तैयार कर उसमें यह राशि शामिल की जाए और उसे संसद की मंजूरी मिल जाए।
  11. समेकित निधि: सरकार द्वारा करों, कर्जो, बैंकों व सरकारी कंपनियों के लाभांश वगैरह के जरिए जुटाई जाने वाली राशि भारत की समेकित निधि [कंसोलिडेटेड फंड] में ही डाली जाती है। संसद की मंजूरी के बगैर इसका एक पैसा भी खर्च नहीं किया जा सकता।
  12. सालाना वित्तीय वक्तव्य: बजट के कुल सात दस्तावेजों में से सबसे प्रमुख दस्तावेज को सालाना वित्तीय वक्तव्य [फाइनेंशियल स्टेटमेंट] कहते हैं। इसमें तमाम प्राप्तियों व खर्चो या आवंटन का जिक्र किया जाता है।
  13. वित्ता विधेयक: नए टैक्स लगाने, मौजूदा कर ढांचे को स्वीकृत अवधि के बाद भी जारी रखने और कर ढांचे में संशोधन से संबंधित सरकारी प्रस्तावों को वित्ता विधेयक के जरिए ही संसद में पेश किया जाता है ताकि उसकी मंजूरी मिल सके।
  14. राष्ट्रीय ऋण: केंद्र सरकार पर घरेलू व विदेशी कर्जदाताओं के कुल कर्ज बोझ को राष्ट्रीय ऋण कहा जाता है।
  15. सार्वजनिक ऋण: राष्ट्रीय ऋण के साथ-साथ राष्ट्रीयकृत उद्योगों और स्थानीय प्राधिकरणों के कुल कर्ज बोझ को सार्वजनिक ऋण कहा जाता है।
  16. ट्रेजरी बिल: सरकार कम अवधि वाले कर्ज ट्रेजरी बिलों के जरिए ही जुटाती है।

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