गुरुवार, 31 मई 2012

थके रथी को धकेलने की कोशिश


बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आज सार्वजनिक तौर पर बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी को लेकर अपनी नाराजगी ज़ाहिर कर दी। आडवाणी ने अपनी ब्लॉग में ये लिखकर हलचल मचा दी कि बीजेपी यूपीए का विकल्प साबित होने में नाकाम रही है। उधर, आडवाणी के जवाब में झारखंड से बीजेपी के समर्थन से राज्यसभा में जाने की नाकाम कोशिश करने वाले अंशुमान मिश्र ने भी खुलापत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि देश को ए के हंगल की नहीं, आमिर खान और रणबीर कपूर की जरूरत है। आडवाणी को नई पीढ़ी के नेताओं के लिए रास्ता साफ कर देना चाहिए।
दरअसल बीजेपी के लौहपुरुष लालकृष्ण आडवाणी अकेले पड़ गए हैं। वो प्रधानमंत्री की रेस से बाहर हो चुके हैं, और संघ ने भी बीजेपी के इस पुराने लोहे को ज़ंग लगा मानकर किनारे लगा दिया है। लेकिन आडवाणी हैं कि मानते नहीं। वे इस बात को पचा ही नहीं पा रहे हैं कि वो प्रधानमंत्री की रेस से बाहर हो गए हैं। कुछ दिनों से बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी से उनकी नाराजगी की खबरें गर्म थीं। कहा जा रहा था कि आडवाणी गडकरी को दोबारा पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने से खुश नहीं हैं। और गुरुवार को आडवाणी ने खुलकर अपनी नाराजगी सार्वजनिक कर दी। आडवाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा कि पार्टी का मूड आशावादी नहीं है। उत्तर प्रदेश में चुनावी नतीजे, जिस तरह से पार्टी ने मायावती के निकाले गए बीएसपी मंत्रियों का स्वागत किया, जिस तरह से पार्टी ने झारखंड और कर्नाटक में उभरे संकट को लापरवाही से हैंडल किया। इन सभी घटनाओं ने भ्रष्टाचार के खिलाफ पार्टी के आंदोलन को कमजोर किया है।
...गडकरी समर्थक बोला-आपकी उम्र नाती-पोते खिलाने की
अब जरा आडवाणी के इस ब्लाग को बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी से जोड़ कर देखिए। उत्तर प्रदेश में बाबू सिंह कुशवाहा को पार्टी में लाने वाले गडकरी थे। विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार भी गडकरी के कार्यकाल में ही मिली। झारखंड से अंशुमान मिश्रा को राज्यसभा भेजने की कोशिश को गडकरी ने ही समर्थन दिया था। और कर्नाटक में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप के बाद भी येदुरप्पा गडकरी के शह पर ही कुर्सी से चिपके रहे। यानी आडवाणी ने गडकरी के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया है। बीजेपी जबाव नहीं दे पा रही।
आडवाणी का ब्लॉग ऐसे दिन आया है जब बीजेपी पेट्रोल की बढ़ी कीमतों के खिलाफ देशव्यापी बंद को सफल बनाने में लगी थी। आडवाणी ने अपने ब्लॉग में बीजेपी को आत्ममंथन की सलाह दी है। आडवाणी ने कहा है कि मैं मीडिया के इस मत से सहमत हूं कि अगर यूपीए के खिलाफ लोगों का गुस्सा है तो जनता बीजेपी पर भी भरोसा नहीं कर रही है।
जाहिर है, आडवाणी का ये रुख पार्टी के एक धड़े को बेहद नागवार गुजरा है। लेकिन जवाब सामने से नहीं आया। जवाब आया इटली में बैठे अंशुमान मिश्र की ओर से। आडवाणी का ब्लॉग सामने आने के कुछ घंटों के भीतर ही अंशुमान की ओर से एक आडवाणी के नाम एक खुलापत्र जारी हुआ। इस पत्र में आडवाणी पर इशारे-इशारे में सत्तालोलुप बताया गया है।
अंशुमान ने इस पत्र में लिखा है ‘आप पार्टी के सबसे वरिष्ठ और सम्मानित नेता हैं। क्या आपने कभी अरुण जेटली, सुषमा स्वराज या नरेंद्र मोदी को नेतृत्व का मौका देने के बारे में कभी विचार किया? कितनी मुश्किल से पीयूष गोयल और नितन गडकरी उस पार्टी के लिए संसाधन जुटाते हैं जिसे आपने अपने खून-पसीने से सींचा है। क्या आपको नहीं लगता कि अब आपको नई पीढ़ी के लिए रास्ता बनाना चाहिए। आप एक महान नेता की तरह सम्मानजनक ढंग से विदा हो जाएं। आपके लिए ये समय किताबें पढ़ने और नाती-पोतों के साथ खेलने का है। देश को ए के हंगल की जरूरत नहीं, आमिर खान और रणबीर कपूर चाहिए, इस हकीकत को स्वीकार करिए और आगे बढ़िए।‘
जाहिर है, अंशुमान के इस पत्र ने साफ कर दिया है कि पार्टी का एक अब आडवाणी को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है। इस सिरफुटौव्वल से राजनीतिक तौर पर बैकफुट पर खड़ी कांग्रेस को भी हमला बोलने का मौका मिल गया है। बहरहाल, इसमें शक नहीं कि आडवाणी की ब्लॉगवाणी और अंशुमान मिश्र के जवाबी खत ने बीजेपी के सत्तासंघर्ष को सामने ला दिया है। ये संघर्ष बीजेपी की चुनावी संभावना पर ग्रहण की तरह है। कांग्रेस की घटी साख से फायदा उठाने में जुटी बीजेपी की साख को खुद संकट में पड़ सकती है।